Thursday, May 5, 2011

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसती है मायानगरी


कहते हैं प्रतिभा कहीं भी जन्म ले सकती है. इसके लिए धन दौलत और बड़े घरानों की ज़रूरत नहीं होती है. इस बात की को साबित करते हैं मायानगरी के वो प्रतिभाशाली सितारे, जिनका ताल्लुक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ऐसे इलाक़ों से है, जहां न तो पर्याप्त सुविधाएं हैं और न ही अभिनय का कोई माहौल. लेकिन फिर भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ये सितारे मायानगरी बॉलीवुड की शान बने हुए हैं. फिल्म निर्माण, गायकी, लेखन हो या फिर अदाकारी, हर क्षेत्र में सालों से यहां के कलाकारों का नाम फिल्म इंडस्ट्री के चुनिंदा कलाकारों में शुमार है. आज आपको कुछ ऐसी ही शख्सियतों के बारे में बताते हैं, जिन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश का नाम मायानगरी मुंबई में रोशन किया है. अव्वल नंबर आता है नसीरूद्दीन शाह का. शाही खानदान से ताल्लुक रखने वाले नसीरूद्दीन शाह किसी पहचान के मोहताज़ नहीं हैं. बेहतरीन स्टेज आर्टिस्ट, रियलिस्टिक सिनेमा के पुरोधा नसीर व्यावसायिक सिनेमा में भी अपनी लाज़वाब अदाकारी का जादू बिखेर रहे हैं. अपने बेहतरीन अभिनय से तारी़फों के साथ-साथ अवॉर्ड बटोरने वाले नसीरूद्दीन शाह की बॉलीवुड के साथ-साथ हॉलीवुड में भी अच्छी प्रतिष्ठा है.
अभिनय के अलावा गायन में भी यहां के कलाकारों का कोई सानी नहीं है. सुनिधि चौहान को ही ले लीजिए. अपनी मदमस्त आवाज़ का जादू बिखेरने वाली सुनिधि चौहान आज लाखों श्रोताओं के दिलों पर राज कर रही हैं. फिल्म ओंकारा के बीड़ी जलाइले गाने को अपनी आवाज़ से सजाने वाली सुनिधि मूल रूप से बुलंदशहर के खुर्जा क्षेत्र की निवासी हैं.
उनके बाद रामानंद सागर द्वारा निर्मित ऐतिहासिक धारावाहिक रामायण में भगवान राम का किरदार निभाने वाले अरूण गोविल का नाम आता है. वह मेरठ के शास्त्री नगर के रहने वाले हैं. रामायण में भगवान राम की भूमिका निभाने के कारण लोगों के मन में उनके प्रति अपार श्रद्धा है. जापानी तकनीक से बनी एनिमेटेड सीरीज़ रामायण में भी श्रीराम के किरदार को अरूण गोविल ने ही आवाज़ दी है. उनकी लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दशहरे पर कई जगहों पर रामलीलाओं के मंचन की जगह रामानंद सागर की रामायण को ही बड़ी स्क्रीन पर दिखाकर दर्शकों का मनोरंजन किया जाता है. राम तेरी गंगा मैली की अभिनेत्री से तो हर कोई वाक़ि़फ है. जी हां, हम बात कर रहे हैं छरहरी काया वाली मंदाकिनी की. राम तेरी गंगा मैली सरी़खी ब्लॉक बस्टर मूवी से बॉलीवुड की दुनिया में पहचान बनाने वाली मंदाकिनी मूल रूप से मेरठ के लालकुर्ती इला़के की रहने वाली हैं. फिल्म के बाद अंडरवर्ल्ड से संबंधों को लेकर भी वे खासी चर्चित रहीं.
राम तेरी गंगा मैली की अभिनेत्री से तो हर कोई वाक़ि़फ है. जी हां, हम बात कर रहे हैं छरहरी काया वाली मंदाकिनी की. राम तेरी गंगा मैली सरी़खी ब्लॉक बस्टर मूवी से बॉलीवुड की दुनिया में पहचान कायम करने वाली मंदाकिनी मूल रूप से मेरठ के लालकुर्ती इला़के की रहने वाली हैं.
अभिनय के अलावा गायन में भी यहां के कलाकारों का कोई सानी नहीं है. सुनिधि चौहान को ही ले लीजिए. अपनी मदमस्त आवाज़ का जादू बिखेरने वाली सुनिधि चौहान आज लाखों श्रोताओं के दिलों पर राज कर रही हैं. फिल्म ओंकारा के बीड़ी जलाइले गाने को अपनी आवाज़ से सजाने वाली सुनिधि मूल रूप से बुलंदशहर के खुर्जा क्षेत्र की निवासी हैं. बात रियलिटी शो की हो और एमटीवी रोडीज़ के विनर आशुतोष का जिक्र न आए, ऐसा हो ही नहीं सकता. एमटीवी रोडीज़ के बाद बिगबॉस-2 में भी किला फतह करने वाले आशुतोष कौशिक ने फर्नीचर नगरी सहारनपुर का सर फख्र से ऊंचा कर दिया है. मेरठ के त्यागी ब्राह्मण हॉस्टल को ओंकारा फिल्म के जरिए ब़डे पर्दे पर तल्ख हक़ीक़तों के साथ सजीव करने वाले विशाल भारद्वाज ने कुछ ही फिल्मों के बाद अपना एक दर्शक वर्ग खड़ा कर लिया है. मूल रूप से मेरठ के बुढ़ाना गेट के रहने वाले विशाल भारद्वाज ने मकबूल, मकड़ी से लेकर कमीने तक हर फिल्म में अपने डायरेक्शन का एक नया अंदाज़ पेश किया है. ओंकारा के जरिए मेरठ और यहां की बोली को पूरे देश के सामने रूपहले पर्दे पर पेश करने वाले विशाल समीक्षकों से लेकर दर्शकों तक की वाहवाही बटोर रहे हैं. अब उनकी सात खून फिल्म की भी का़फी चर्चा है.
इसके अलावा रामगोपाल वर्मा के चहेते कलाकार सुशांत सिंह ने सत्या फिल्म में शूटर के रोल से अपने करियर का आगाज़ किया और रामू की ही फरदीन खान स्टारर जंगल में डाकू भवानी चौधरी के किरदार से अपनी पहचान बनाई. मूलरूप से मेरठ के निवासी सुशांत सिंह दम और आग सरीखी कई फिल्मों में सेकेंड लीड भूमिकाएं निभाकर खुद को साबित कर चुके हैं. सहर फिल्म में मुख्य खलनायक की भूमिका बेहतरीन तरी़के से निभा कर सुशांत ने दर्शकों के साथ-साथ समीक्षकों की भी वाह वाही-बटोरी. मेरठ के आरजी कॉलेज की टीचर्स की याद्दाश्त में सबसे खूबसूरत छात्रा का चेहरा आज भी तरोताजा होगा. कॉलेज के दिनों से ही मिस आरजी बन चुकी दीप्ति ने पहले स़फल मॉडल और बाद में एंकर के तौर पर अपनी पहचान क़ायम की. मिस्टर इंडिया-2008 के विजेता प्रवेश राणा ने वाइल्ड कार्ड से बिगबॉस-3 में प्रवेश किया और उपविजेता रहे. मेरठ के प्रभात नगर कॉलोनी के निवासी प्रवेश देखते ही देखते पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चहेते सितारे बन गए. स्टार वन चैनल पर एंकरिंग कर चुके प्रवेश राणा की इस स़फलता पर मेरठ गौरवान्वित है, तो मोहल्ले भर के लोग प्रवेश की स़फलता के गुण गाते नहीं थकते. अब तक तो आप जान ही गए होंगे कि मायानगरी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कितने सितारे अपने अभिनय की चमक से चमका रहे हैं. ऐसे में अगर यह कहा जाए कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक छोटी मायानगरी बसती है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.

Saturday, April 9, 2011

सिनेमाया: अन्‍ना, अनुपम और एक भांड

सिनेमाया: अन्‍ना, अनुपम और एक भांड

अन्‍ना, अनुपम और एक भांड


लोकपाल बिल के समर्थन में अन्ना हजारे हजारे के आमरण अनशन ने कम से कम इतना तो तय कर ही दिया कि अगर एक बुजुर्गचंद दिनों भूख रहकर सरकार पर भारी पड सकता है तो युवा चाहें तो क्‍या नहीं कर सकते. हालांकि इस बात से एतराज नहीं किया जा सकता है कि इस आंदोलन में युवाओं की भागीदारी दिखी. बुहत दिनों बाद लोकल इलाकों में लोगों को कैंडल मार्च करते देखा गया. इसे सगुन माना जा सकता है. नहीं तो अब तक युवाओं की भीड सिर्फ रेस्‍टारेंट और मल्‍टीप्‍लेक्‍स में फिल्‍म स्‍टार्स को देखने के लिए जुटती रही है. फिल्‍म स्‍टार्स से याद आया अन्‍ना की इस लडाई में अनुपम खेर, शबाना आजमी और पीयूष मिश्रा, यहां तक कि उर्मिला और दिया मिर्जा जैसे सितारे भी साथ देते दिखाई दिए. जब अनुपम खेर अन्‍ना के समर्थन में अपने विचार रख रहे थे तब उन्‍होंने अपनी जीवन की शुरूआती और क्‍लासिक फिल्‍म सारांश के एक दृश्‍य का जिक्र किया, जिसमें एक हताश बुजुर्ग अन्‍ना की तरह ए‍क मंत्री के सामने भ्रष्‍टाचार की बात कर रहा होता है. अनुपम ने इस मुहिम में अमिताभ बच्‍चन और शाहरुख खान को शामिल होने का आवेदन किया. अमिताभ ने तो समर्थन में अपना बयान जारी कर दिया लेकिन आपको पता है उस वक्‍त शाहरुख खान क्‍या कर रहे थे. दरअसल तब शाहरुख चेन्नई में आईपीएल 4 के ओपनिंग इवेंट की डांस रिहर्सल कर रहे थे. जाहिर है जब भी शाहरुख को कहीं से मोटी रकम का ऑफर मिलता है, वह दुनियादारी छोडकर पैसा कमाने कि लिए निकल जाते हैं. फिर चाहे किसी की शादी में भांड बनाना हो या फिर किसी की मातम मुर्सी के माहौल को हाईक्‍लास बनाना हो. लेकिन जनहित से जुडी किसी भी मुहिम में यह स्‍टार हमेशा गायब रहता है. ऐसा नहीं है कि शाहरुख के आ जाने से अन्‍ना को कोई विशेष सहयोग मिल जाता या फिर अनुपम उन्‍हें कोई समाज सुधारक समझते हैं. अन्‍ना ने अपना अनशन सफल कर ही दिया, लेकिन अनुपम ने उन्‍हें तो इसलिए आने के लिए कहा गया था कि जब इस जन आंदोनन में आमिर समेत कई सितारे अपना मुनाफा छोडकर कुछ वक्‍त निकालकर जनताके बीच आ सकते हैं तो फिर जनता के पैसे से रोटी खाने वाला यह सितारा क्‍यों नहीं. यह बात सिर्फ शाहरुख के लिए ही नहीं है बल्कि ही उस स्‍टार के लिए है जो इस मुहिम में शामिल नहीं हुआ है. जैसे अक्षय दस दिन अपनी फिल्‍म के प्रोमोशन में बिजी थे. शाहरुख अगर आईपीएल का तमाशा और अक्षय प्रोमोशन छोडकर इस मुहिम में शामिल होते तो उनका कद और बढता, लेकिन शाहरुख समेत कई अभिनेताओं को उस जनता की कोई फिक्र नहीं है जिसके पैसे और प्‍यार से वह आज स्‍टारडम का रुतबे के साथ ऐशो आराम की जिंदगी बसर कर रहे हैं. इस बात से इतना तो अंदाजा लग ही जाता है कि जो प्‍यार और जनता से इन सितारों को मिलता है, उसकी कीमत इन सितारों के लिए क्‍या है.